From October 23, 2011 |
उजालों के ना जब तक आये पैग़ाम चिराग़ जलते रहें
मयस्सर हो ना रौशनी हर बाम चिराग़ जलते रहें ..
अँधेरे ख़ुद ही दामन ओड़ लें आकर शुआयों के ,
नूरानी जब तक ना हो हर गाम चिराग़ जलते रहें .
हमारी आँख में चमके चिराग़ अपनी मोहब्बत के ,
दिलों में प्यार के सुबह -ओ -शाम चिराग़ जलते रहें .
सजा लो लाख़ लड़ियाँ चमकीली दर -ओ -दीवारों पे ,
पर अपनी दहलीज़ पे घी के राम
दोस्तों दिवाली मुबारक ,हो अदूं दिवाली मुबारक
चलों दे रिश्तों को नया आयाम चिराग जलते रहें
रौशनी जो भी दे “दीपक ” बस वो ही मशहूरियत पायें
ख़्याल हो ,ना किसी राह गुमना